किड्नी ( गुर्दा ) मानव शरीर का बहुत ही महत्वपूर्ण अंग है। जो शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को यूरिन के द्वारा बाहर निकालने का काम करता है । किड्नी शरीर में मौजूद टॉक्सिनस को ही बाहर नहीं निकलता, बल्कि शरीर के अन्य कार्य जैसे ब्लड प्रेशर और पाचनतंत्र को भी ठीक रखता है। अगर किसी भी कारण किड्नी सही तरह से अपना काम करना बंद कर दे तब इस कन्डिशन को गुर्दे की बीमारी ( Kidney Disease ) कहा जाता है ।
गुर्दे की बीमारी आमतौर पर खराब खान-पान एवं लापरवाह रहन सहन इसका मुख्य कारण है। अगर कोई व्यक्ति तनाव में रहे, साफ सफाई का ध्यान न रखे, या भोजन समय पर न ले इसके कारण किड्नी खराब हो सकती है । किड्नी का समय पर इलाज और जांच नया होने के कारण ये बीमारी जानलेवा हो जाती है। इसलिए किड्नी की समय समय पर इसकी जांच कराते रहना चाहिए ।
गुर्दे के रोग के प्रकार- Types of Kidney Disease
गुर्दा में होंने वाली बीमारी मुख्यतः दो प्रकार की होती है जो इस प्रकार से है –
एक्यूट किड्नी डिजीज ( Acute Kidney Disease )- एक्यूट किड्नी डिजीज में गुर्दे ( किड्नी ) काम करना बंद कर देती है या कहें बहुत ही कम करती है। इस वजह से किड्नी फैलियर का खतरा बना रहता है। ये बहुत ही खतरनाक स्थिति मानी जाती है ।
क्रोनिक किड्नी डिजीज ( Cronic Kidney Disease )- क्रोनिक किड्नी डिजीज एक ऐसा रोग है जो शुरुआत में पता नहीं लगता और रोग बढ़ जाने के बाद इसके लक्षण सामने आते हैं। लेकिन ये रोग किड्नी को धीरे-धीरे खराब करते हैं और ये रोग धीरे-धीरे किड्नी फैलियर की तरफ बढ़ता है । क्रोनिक किड्नी डिजीज तीन प्रकार का होता है।
1- माइल्ड क्रोनिक किड्नी डिजीज – हल्के लक्षण वाला गुर्दा रोग
2- मॉडरेट क्रोनिक किड्नी डिजीज – मध्यम लक्षण वाला गुर्दा रोग
3- सीवीयर क्रोनिक किड्नी डिजीज – इस स्थिति को सबसे खतरे की स्थिति कहा जाता है
किड्नी ( गुर्दा ) रोग के लक्षण
किड्नी रोग को पहचाने के लक्षण और बीमारी से मिलते जुलते हो सकते हैं । लेकिन जरूरी नहीं है की लक्षण मिलने पर व्यक्ति को किड्नी डिजीज हो । इसलिए शरीर में लक्षण दिखें तो सबसे पहले जांच कराएं इसके बाद ही इजाज शुरू करें । किड्नी डिजीज के मुख्य लक्षण इस प्रकार है ।
- थकान
- पेशाब में जलन या दर्द
- पेशाब कम आना
- पेशाब का कलर लाल या पिंक कलर का आना
- जी मचलना
- पैरों में सूजन
- नींद ना आना
- भूख कम लगना
- चेहरे पर सूजन आना
- सांस फूलना
- खुजली होना
किड्नी डिजीज होने के मुख्य कारण
जिस मरीज में पहले से ही कोई क्रोनिक डिजीज जैसे मधुमेय और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी पहले से है। उनमे क्रोनिक किड्नी डिजीज का खतरा बहुत बढ़ जाता है ।
देखा गया है किसी किसी बच्चे में जन्म से ही उसकी किड्नी संरचना ठीक नहीं हैं । तब उसे किड्नी डिजीज होने का खतरा होता है ।
किसी व्यक्ति को बार-बार किड्नी इन्फेक्शन होता है, तब किड्नी डिजीज होने की संभवना होती है ।
अगर परिवार में पहले से किसी को किड्नी डिजीज रही हो तो पारिवारिक हिस्ट्री अनुसार किड्नी डिजीज हो सकती है ।
ब्लड वेसल्स अबरुद्ध हो जाने के कारण भी किड्नी डिजीज हो सकती है ।
की बार देखा गया है कि लोग बार-बार दर्द निवारक दवा व अन्य कुछ ऐसी दवा लेते हैं जिसके कारण
किड्नी में सूजन हो जाती है और किड्नी खराब होने का खतरा बढ़ जाता है ।
किड्नी में चोट लगने से भी किड्नी डैमेज का खतरा रहता है ।
किड्नी डिजीज के बचाव
- प्रतिदिन पर्याप्त मात्र में पानी पीयें – जैसे ( weight / 10 ) – 2 letre
- संतुलित मात्रा में खाना खाएं
- नमक का सेवन काम करें
- शराब और सिगरेट से दूरी बनाएं
- समय पर पेशाब करें, पेशाब को रोके ना रखें
- मधुमेय और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखें
- पूरी नींद ले और आराम का ध्यान रखें
- जंक फूड ना खाएं
- डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवा ना लें
Disclaimer
इस आर्टिकल में शेयर की गई जानकारी, उपचार के तरीके, और विधि आपकी जानकारी और बचाव के लिए है। कायाबज.इन इसकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं लेता । ये जानकारी और सुझाव मात्र शिक्षित करने के लिए हैं। इस तरह की कोई भी उपचार और दवा लेने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें ।